Veshali Ki Nagarvadhu
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इसमें भारतीय जीवन का एक जीता–जागता चित्र अंकित हैं । इस उपन्यास का कथात्मक परिवेश ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक है । इसकी कहानी बौद्ध काल से सम्बद्ध है और इसमें तत्कालीन लिच्छिवि संघ की राजधानी वैशाली की पुरावधू ‘आम्रपाली’ को प्रधान चरित्र के रूप में अवतरित करते हुए उस युग के हास–विलासपूर्ण सांस्कृतिक वातावरण को अंकित करने हुए चेष्टा की गयी है । उपन्यास में घटनाओं की प्रधानता है किन्तु उनका संघटन सतर्कतापूर्वक किया गया है और बौद्धकालीन सामग्री के विभिन्न स्रोतों का उपयोग करते हुए उन्हें एक सीमा तक प्रामाणिक एवं प्रभावोत्पादक बनाने की चेष्टा की गयी है । उपन्यास की भाषा में ऐतिहासिक वातावरण का निर्माण करने के लिए बहुत से पुराकालीन शब्दों का उपयोग किया गया है । कुल मिलाकर चतुरसेन की यह कृति हिन्दी के ऐतिहासिक उपन्यासों में उल्लेखनीय है ।..
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Book Description
इसमें भारतीय जीवन का एक जीता–जागता चित्र अंकित हैं । इस उपन्यास का कथात्मक परिवेश ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक है । इसकी कहानी बौद्ध काल से सम्बद्ध है और इसमें तत्कालीन लिच्छिवि संघ की राजधानी वैशाली की पुरावधू ‘आम्रपाली’ को प्रधान चरित्र के रूप में अवतरित करते हुए उस युग के हास–विलासपूर्ण सांस्कृतिक वातावरण को अंकित करने हुए चेष्टा की गयी है । उपन्यास में घटनाओं की प्रधानता है किन्तु उनका संघटन सतर्कतापूर्वक किया गया है और बौद्धकालीन सामग्री के विभिन्न स्रोतों का उपयोग करते हुए उन्हें एक सीमा तक प्रामाणिक एवं प्रभावोत्पादक बनाने की चेष्टा की गयी है । उपन्यास की भाषा में ऐतिहासिक वातावरण का निर्माण करने के लिए बहुत से पुराकालीन शब्दों का उपयोग किया गया है । कुल मिलाकर चतुरसेन की यह कृति हिन्दी के ऐतिहासिक उपन्यासों में उल्लेखनीय है ।