- Stock Status: Out Of Stock
Pustak Details | |
Author | Vivek Ranjan Shrivastav |
ISBN-13 | 9788188796184 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Reviews
Book Description
कौआ कान ले गया , हास्य व्यंग
जिस तरह बचपन में हमें चिढ़ाया जाता था कि कौआ कान ले गया और हम सच को समझे बगैर कौऐ की ओर देखने लगते थे , उसी तरह आज समाज में अफवाहें फैलती हैं , नेता गुमराह करते हैं , मीडिया शोर करता है और सच को जाने समझे बिना लोग दौड़ पड़ते हैं . यह ५स किताब के एक व्यंग लेख का विषय है .
ऐसे ही अनेक विषयो को व्यंग के समर्थ हस्ताक्षर विवेक रंजन श्रीवास्तव जी ने इस किताब में अपने धारदार लेखो के जरिये हास्य व्यंग के जरिये प्रस्तुत किया है . हर व्यंग लेख दूसरे से बढ़कर हैं .लेख पढ़ने की उत्सुकता लगातार बनी रहती है . मजा भी आता है , और लगता है कि विषय हमारे आसपास से ही उठाया गया है , अपने साथ कुछ वैसे ही हुये वाकये की बरबस याद भी आ जाती है. बार बार पढ़ने का मन करता है .
व्यंग ऐसी विधा है जिसके द्वारा कटाक्ष और परिहास के माध्यम से वह सब भी कहा जा सकता है जो सीधे सीधे कहना संभव नही होता ,समाज की विसंगतियो पर गुदगुदाते हुये प्रहार करके सुधार का रास्ता दिखलाना व्यंगकार का दायित्व होता है . विवेक रंजन श्रीवास्तव जी व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर हैं , उन्हें व्यंग लेखन के लिये अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं . इस पुस्तक में उन्होने समसामयिक विषयो पर अपने प्रिय व्यंग लेख प्रस्तुत किये हैं .