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Pustak Details | |
Author | Vivek Ranjan Shrivastav |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
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Book Description
आक्रोश , समकालीन नई कविता
आक्रोश
युवाओ के आक्रोश भरे स्वर समाज को जीवंत बनाये रखने के लिये आवश्यक होते हैं . इस पुस्तक में छोटी छोटी नई कवितायें संग्रहित हैं , सहज सरल प्रतीको के माध्यम से इस संग्रह की हर कविता एक शब्द चित्र बनाती है , और समाज की विसंगतियो को रेखांकित करती है . कविता के अंत में समस्या का समाधान भी कवि ने बताया है . पुस्तक पठनीय है . जो विचारो को झंकृत करती है . और नये तरीके से सोचने पर विवश करती है . ऐसे अनेक दृश्य जिनहें हम देखकर भी अनदेखा कर देते हैं इन कविताओ के माध्यम से कवि ने हमें दिखलाने का सफल प्रयास किया है .
जानता हूँ मैं कि तुम्हें ,
अच्छा नहीं लगता
मेरा लिखना खरा खरा
माना कि क्रांति नहीं होगी
मेरे लिखने भर से
पर मेरे न लिखने से
यथार्थ
सुनहले सपनों सा सुंदर
तो नहीं हो जायेगा ?
सपनों को बनाने के लिये यथार्थ
विवशता है
अभिव्यक्ति आक्रोश की !
......................आक्रोश से अंश