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Kyon Papa Kyon?
, Chitra Manglik Kumar
, Prabhat Prakashan
, FICTION / General
, Hardcover
, Hindi
, 9789389982459
Kyon Papa Kyon?
- ISBN: 9789389982459
- Total Pages: 184
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats:Hardcover
- Stock Status: In Stock
- Publisher/Manufacturer: Prabhat Prakashan
- ISBN-13: 9789389982459
No. Of Views: 258
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Reward Points: 900
‘क्यों पापा क्यों?’ एक कहानी-संग्रह है। यह पुस्तक मनगढ़ंत कल्पनाओं पर आधारित अथवा मात्र मनोरंजन के लिए लिखी गई हो, ऐसा नहीं है। वास्तविक लोग, संयुक्त परिवार, प्रामाणिक जीवन, भूतकाल से वर्तमान समय की कड़ी-से-कड़ी जोड़ती हुई स्वतंत्र नदिया की बहती धारा के रूप में सबको लेकर,समेटते निरंतर आगे बढ़ती जीवंत सदस्यों की जीवनी में बद्ध कहानियाँ हैं ।
परिवर्तन संसार का नियम है। समाज में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। इन कहानियों में समाज का बदलता रूप, पारिवारिक संबंधों में तनाव, अलगाव, आधुनिक जीवन-शैली, व्यक्तिगत अहं वाली मानसिकता के साथ-साथ परंपरागत संगठित परिवारों का जीवन झलकता है।
इन कहानियों में पुरानी पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी, दोनों का चित्रण है, जो समय और समाज के बदलते दौर पर मंथन करने के लिए प्रेरित करती हैं। दोनों पीढ़ी की सार्थक सोच के समन्वय से संभवतः समाज को अधिक सशक्त, सुखद और सभ्य बनाया जा ..
Pustak Details | |
Sold By | Prabhat Prakashan |
Author | Chitra Manglik Kumar |
ISBN-13 | 9789389982459 |
Format | Hardcover |
Language | Hindi |
Pages | 184 |
Category | FICTION / General |
Reviews
Book Description
‘क्यों पापा क्यों?’ एक कहानी-संग्रह है। यह पुस्तक मनगढ़ंत कल्पनाओं पर आधारित अथवा मात्र मनोरंजन के लिए लिखी गई हो, ऐसा नहीं है। वास्तविक लोग, संयुक्त परिवार, प्रामाणिक जीवन, भूतकाल से वर्तमान समय की कड़ी-से-कड़ी जोड़ती हुई स्वतंत्र नदिया की बहती धारा के रूप में सबको लेकर,समेटते निरंतर आगे बढ़ती जीवंत सदस्यों की जीवनी में बद्ध कहानियाँ हैं ।
परिवर्तन संसार का नियम है। समाज में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। इन कहानियों में समाज का बदलता रूप, पारिवारिक संबंधों में तनाव, अलगाव, आधुनिक जीवन-शैली, व्यक्तिगत अहं वाली मानसिकता के साथ-साथ परंपरागत संगठित परिवारों का जीवन झलकता है।
इन कहानियों में पुरानी पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी, दोनों का चित्रण है, जो समय और समाज के बदलते दौर पर मंथन करने के लिए प्रेरित करती हैं। दोनों पीढ़ी की सार्थक सोच के समन्वय से संभवतः समाज को अधिक सशक्त, सुखद और सभ्य बनाया जा सकता है।